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संघ बजट 2025-26: बजट के मुख्य विवरण और इसके आर्थिक प्रभाव

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Updated: 18-07-2025 at 3:31 PM

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संघ बजट 2025

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2025-26 सत्र के लिए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत संघ बजट योजना में आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन का वादा किया गया है। बजट को अंदरूनी सूत्रों ने "आत्मनिर्भर भारत" के रूप में वर्णित किया, लेकिन इसका मुख्य ध्यान मध्यवर्गीय समर्थन के बजाय कॉर्पोरेट लाभों पर केंद्रित रहा। बजट में कर सुधारों के साथ-साथ बुनियादी ढांचा विकास नवाचार और अन्य पहल शामिल हैं, लेकिन ये वित्तीय जवाबदेही के मामले में अधिक प्रभावी नहीं लगते।

लेकिन क्या यह समावेशी है? आइए प्रमुख घोषणाओं की पहचान करें और उनकी प्रभावशीलता का विश्लेषण करें।

अधिक पढ़ें: कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme EPS) क्या है?

कर सुधार: वास्तविक राहत या केवल सतही बदलाव?

सरकार ने कराधान में कई सुधार किए हैं, जिनका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना और व्यक्तियों एवं कंपनियों को राहत प्रदान करना है। हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि इनका लाभ उच्च वर्ग को अधिक और मध्यवर्ग को अपेक्षाकृत कम मिलेगा।

प्रमुख कर घोषणाएँ:

सुधारविवरण
₹12 लाख तक शून्य आयकरनए कर प्रणाली के तहत ₹12 लाख तक वार्षिक आय वाले वेतनभोगी व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा। पुरानी कर प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
टीडीएस और टीसीएस सुधारवरिष्ठ नागरिकों की बैंक ब्याज पर काटी जाने वाली कर राशि (टीडीएस) ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है। किराए पर टीडीएस सीमा ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख कर दी गई है।
राष्ट्रीय बचत योजना (NSS) छूट29 अगस्त 2024 के बाद NSS से निकासी कर-मुक्त होगी।
आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ीकरदाता अब अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए दो साल के बजाय चार साल तक का समय ले सकते हैं।
नया आयकर विधेयककर प्रणाली में बड़े बदलाव का प्रस्ताव संसद में अगली समीक्षा और मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

कृषि और ग्रामीण विकास: बड़ा बदलाव

संघ बजट 2025-26 में कर और कृषि क्षेत्र में सुधारों के साथ-साथ विनिर्माण बदलाव किए गए हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके और नए रोजगार उत्पन्न किए जा सकें। सरकार का दावा है कि यह बजट सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसमें मध्यवर्गीय नागरिकों के लिए ठोस लाभकारी कदमों की कमी है। यह लेख प्रमुख आर्थिक घोषणाओं का संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

कृषि क्षेत्र में कुछ प्रमुख सुधार:

  • पीएम धन-धान्य कृषि योजना: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख योजना।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) विस्तार: 7.7 करोड़ किसानों को लघु अवधि के ऋण दिए जाएंगे। मछुआरों और डेयरी किसानों को भी इस योजना में शामिल किया गया है, जिससे उन्हें ₹5 लाख तक का कर्ज मिल सकेगा।
  • दाल आत्मनिर्भरता मिशन: अगले छह वर्षों में तूर, उड़द और मसूर की घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना, जिससे आयात पर निर्भरता कम की जा सके।
  • मखाना बोर्ड, बिहार: मखाना के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष बोर्ड गठित किया जाएगा, जिससे हजारों किसानों को लाभ मिलेगा।

विश्लेषण:

ये योजनाएँ पीएम-किसान और फसल बीमा योजना जैसी पिछली योजनाओं की तुलना में उतनी प्रभावी नहीं लगतीं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन योजनाओं की सफलता के लिए सही बाजार और बुनियादी ढांचे की जरूरत है, जो अभी भी पूरी तरह विकसित नहीं है।

विज्ञान और नवाचार: क्या भारत टेक सुपरपावर बनने की ओर बढ़ रहा है?

बजट में टेक्नोलॉजी और रिसर्च में बड़े निवेश के कई अवसरों का जिक्र किया गया है, जिससे यह साफ होता है कि भारत खुद को नवाचार का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

बड़े अनुसंधान एवं विकास (R&D) निवेश:

  • अनुसंधान, विकास और नवाचार पहल: निजी क्षेत्र की अगुवाई में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ₹20,000 करोड़ का आवंटन।
  • पीएम रिसर्च फेलोशिप: IITs और IISc में 10,000 नई शोध अवसरों की पेशकश।
  • दूसरा जीन बैंक: खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों का भंडारण।

विश्लेषण:

हालांकि ये घोषणाएँ उत्साहजनक लगती हैं, भारत अभी भी जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम शोध कार्यों पर खर्च कर रहा है। अगर इन पहलों को सही तरीके से लागू नहीं किया गया, तो ये प्रभावी साबित नहीं हो पाएंगी।

उद्योग और विनिर्माण: ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा या बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा?

हालांकि बजट में विनिर्माण, निर्यात नीति और सेमीकंडक्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन दिए गए हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये नीतियां छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की कीमत पर सिर्फ बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचा रही हैं?

प्रमुख घोषणाएँ:

  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी (EV) निर्माण के लिए अधिक सब्सिडी।
  • ओपन सेल और लिथियम बैटरी पर छूट: टीवी और मोबाइल फोन निर्माताओं की लागत कम करने के लिए कर छूट।
  • जहाज निर्माण और MRO प्रोत्साहन: जहाज निर्माण में उपयोग होने वाले सामान पर 10 वर्षों तक कर छूट।
  • सेमीकंडक्टर मिशन: सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए ₹76,000 करोड़ का आवंटन, लेकिन 2025-26 में केवल 100 नई नौकरियों की उम्मीद।

विश्लेषण:

हालांकि ये कदम औद्योगिक विकास में मदद करेंगे, कुछ विशेषज्ञों को चिंता है कि इनका लाभ छोटे व्यवसायों तक नहीं पहुंचेगा और ये केवल बड़ी कंपनियों तक ही सीमित रह सकते हैं।

अधिक पढ़ें: मुख्यमंत्री अमृतम योजना (MA योजना) के बारे में जानें

निर्यात और व्यापार नीतियाँ: क्या भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकता है?

सरकार नई व्यापार सुविधा योजनाएँ लागू कर रही है, लेकिन क्या ये भारत को दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए पर्याप्त हैं?

प्रमुख व्यापार घोषणाएँ:

  • निर्यात समय सीमा का विस्तार: मरम्मत किए गए रेलवे उपकरणों के निर्यात में अधिक लचीलापन।
  • चमड़ा उद्योग प्रोत्साहन: वेट ब्लू लेदर (प्रसंस्करण किया गया कच्चा चमड़ा) को कस्टम ड्यूटी से छूट।
  • त्रैमासिक IGCR अनुपालन: आयात सामान्य कस्टम नियमों (IGCR) को सरल बनाया गया।

विश्लेषण:

ये बदलाव सराहनीय हैं, लेकिन ऊँची लॉजिस्टिक्स लागत और सरकारी प्रक्रियाओं में देरी अब भी भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे रख सकती है।

निष्कर्ष

संघ बजट 2025-26 साहसिक और महत्वाकांक्षी है, लेकिन यही बात इसके क्रियान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना सकती है। सरकार ने कर राहत, कृषि और औद्योगिक विकास पर जोर दिया है, लेकिन कई आलोचकों के अनुसार, एक बार फिर आम मध्यम वर्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) की उपेक्षा हो सकती है। भविष्य में बदलाव लाने के लिए, इन योजनाओं को पारदर्शिता के साथ प्रभावी रूप से लागू करना जरूरी है, साथ ही दीर्घकालिक आर्थिक रणनीतियों पर ध्यान देना भी आवश्यक है।

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